कलियुग यानी कि मशीनी युग । इसलिए कलियुग में मनुष्य मशीन की तरह काम करके शांति और संतुष्टि पाना चाहता है किंतु मशीन आदि से त्वरित सु...
कलियुग यानी कि मशीनी युग । इसलिए कलियुग में मनुष्य मशीन की तरह काम करके शांति और संतुष्टि पाना चाहता है किंतु मशीन आदि से त्वरित सुश भले ही मिले पर शास्वत शांति नहीं मिलती । धन कमाना आवश्यक है ।लेकिन सिद्धांत यह है कि कमाएं नीति से, संसार, परिवार में रहें संतों एवं शास्त्रों की बनाई रीति से और प्रभू को भजें प्रीति से । नीति, रीति और प्रीति के त्रिसूत्रात्मक सिद्धांत से मनुष्य आनंदमय जीवन पा सकता है ।